Sunday, 9 August 2020

*होम आयसोलेशन* / *स्व पृथक्करण भाग* -२

 

          कल हमने  देखा,आयसोलेशन एवं क्वारंटीन इन दोनों के बीच का अंतर , कौन कर सकता है, कौन नहीं कर सकता और मकितने दिनों तक कर सकता है इस विषय के बारे में जानकारी ली। आज देखते है भाग -२


■ *स्व-पृथक्करण करते समय कौनसी सुविधाएं उपलब्ध होना आवश्यक है* ? 


● सर्वप्रथम घर में *स्वतंत्र टॉयलेट-बाथरुम संलग्न एक कमरा* होना जरूरी है। (Master bedroom) 


●  स्व-पृथक्करण कर रहे रोगी की *२४ घंटे देखभाल करने के लिए एक केअरटेकर* का होना जरूरी है। यह केअरटेकर घर का कोई सदस्य /पड़ोसी या व्यावसायिक रूप से केअरटेकिंग जिनका पेशा हो, ऐसे व्यक्ति भी हो सकते हैं, केवल शर्त यह कि रोगी के लिए *वह २४ x ७ उपलब्ध* रहे। और यह काम कोई भी *एक ही व्यक्ति* करे, अनायास एक से अधिक व्यक्तियों का संपर्क न होने दे। 


●रोगी , केअरटेकर  और अस्पताल इनमें ताल-मेल अच्छा रहे और सतत संपर्क में रहे। 


● रोगी के केअरटेकर के पास PPE किट, कम से कम  ३ ply mask एवं ग्लोव्हज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। 


● रोगी, रोज आत्मपरीक्षण करता रहे और वैद्यकीय अधिकारियों को सूचित करता रहे। 


● आत्मपरीक्षण करने हेतु रोगी के पास एक तापमापी ( थर्मामीटर), एक पल्सऑक्सीमीटर हो जिससे वह अपने तापमान व रक्त में ऑक्सीजन के प्रतिशत को नियमित रूप से जाँचते रहे। (एक वैद्य की भूमिका से मेरा यह मत है कि, यह बहुपयोगी हो सकता है।) 



■ *निम्नलिखित लक्षणों के प्रति सजग रहें*


१.बुखार / खॉसी

२.सास लेने में तकलीफ होना

३.छाती भारी लगना या वहा वेदना होना

४.रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना (इसके लिए पल्सऑक्सीमीटर का होना आवश्यक है) 

५.अनुत्साही महसूस होना

६.भ्रमित प्रतीत होना

७.चक्कर आना

८.बहुत थकान महसूस होना

९़ओंठो पर या चेहरे पर नीली छाही दिखना

१०. साँस फूलना

११. *Happy hypoxia syndrome*  ( *हॅपी हायपॉक्सिया सिंड्रोम* ) -  यह संज्ञा आप में से किसी ने कभी कहीं पढ़ी या सुनी है? कुछ COVID ग्रस्त रोगियों में यह लक्षण दिखाई देता है। हायपॉक्सिया अर्थात रक्त में कम हुआ ऑक्सीजन का स्तर। सरल शब्दों में कहें तो *हमारे शारीरिक अवयवों को आवश्यक ऑक्सीजन का प्रवाह न हो पाने का यह लक्षण* है। यह ज्यादा होने पर उपर्युक्त लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। परंतु  

हॅपी हायपॉक्सिया इस अवस्था में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते। इसके विपरीत रोगी बिना किसी तकलीफ के अपने नियमित काम करता रहता है। परंतु *ऑक्सीजन का स्तर शरीर में कम होने से अवयवों पर तनाव* जरूर पड़ता है जिससे अचानक ही गंभीर स्थिति निर्माण हो सकती है। ऐसा होता क्यों है यह निश्चित रूप से कहा नहीं जा सकता पर यह वस्तुस्थिति दिखाई अवश्य देती है

        इसी कारण पल्सऑक्सीमीटर जैसे यंत्रो का उपयोग कर अपने ऑक्सीजन का स्तर जाँचते रहे। 


■ स्व-पृथक्करण करते समय कौन-सी सावधानियां बरतें? 


●  रोगी घर में भी मास्क पहनें। केवल कमरे में अकेले रहने पर ही मास्क निकाल सकता है। अन्यथा कमरे में किसी और की उपस्थिति में मास्क पहनना अनिवार्य है। हर ६-८ घंटे में मास्क बदले। भीगनें /खराब होने पर तुरंत बदले। 


●  रोगी की सभी वस्तुएँ अलग रखें। ( बिस्तर, चादर, टॉवेल,नॅपकिन, रूमाल, कपड़े, खाने के बर्तन, पानी का जग आदि) 


● रोग के लक्षण न होने पर संभवतः रोगी स्वयं के हलके-फुलके काम स्वयं ही करे। इससे उसका मन भी बहला रहता है। (नियमित दिनचर्या पालन के साथ लक्षणों का भी निरीक्षण करते रहे।) 


● रोगी अपने कपड़े स्वयं ही धोकर उसे निर्जंतुक करे और कमरे में एक ओर सुखाएं। 


● उसी प्रकार रोगी अपने बर्तन भी स्वयं ही मांजे।


● रोगी के लक्षण अधिक अथवा तीव्र दिखाई देने पर अथवा स्वयं के काम स्वयं करना संभव न होने पर वह अपने कपड़े और बर्तन १% सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल में अलग - अलग भीगो कर रखें। इस प्रकार से केअरटेकर कुछ देर बाद ऊन कपड़े-बर्तन को धो सकता है। 


● रोगी के कपड़े-बर्तन धोते समय केअरटेकर PPE किट को पहन कर ही काम करे। 


● रोगी के कमरे की साफ-सफाई करने भी केअरटेकर PPE किट पहन कर ही जाए। 


● PPE किट पहनने से पहले और निकालने के पश्चात ४० सेकंड तक हाथों को साबुन से धोएं। 


● इस्तेमाल किए हुए मास्क, PPE किट को १% सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल में कुछ देर भिगो कर फिर एक गहरे गढ्ढे में गाड़ दे या जला दे। (ऐसा करना जरूरी है क्योंकि कई बार ऐसा देखा सुना जाता है कि इस्तेमाल किए हुए मास्क आदि पुनः बेचे जाते है।) 


● कमरा साफ करते समय फर्श, दरवाजे की कड़ी-कुंडी (handle) जंतुनाशक साबुन से (१% सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल) धोकर पोंछ ले। 


● रोगी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे पल्सऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, उसका मोबाईल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अल्कोहल युक्त सॅनिटायझर से पोंछ ले। 


●  बिस्तर-चादर को झटके नहीं। 


● रोगी का कूड़ा-कचड़ा अलग ही रखें। उसे घर के अन्य दैनंदिन कचड़े में ना मिलाएं। 


● संभवतः यह कचड़ा एक थैली में बांधकर, फिर उसे एक अन्य थैली में बांधे। और आखिर में यह कचड़ा एक पीली थैली में बांधे। जिस प्रकार से गीला कचड़ा हरे और सूखा कचड़ा नीली थैली में देना होता है उसी प्रकार COVID ग्रस्त रोगी का कचड़ा पीली थैली में दिया जाता है। ऐसा करना हमारे, हमारे पड़ोसियों तथा सफाई कर्मचारियों के  सुरक्षा के हित में होता है। 


●  स्व-पृथक्करण अपने ही घर में किया जा रहा है फिर भी उसके सभी नियमों का गंभीरता से पालन करें। इन नियो को तोड़ कर अन्य लोगों से मिले-जुले नहीं, अपने घरवालों से भी नहीं। (रोगी की हालचाल पूछने हेतु भी, रोगी के पृथक्कृत कमरे में न जाए।) 


●  घर में अकेले रह रहे हो तब भी औषधि या सामान लाने घर के बाहर  न जाए। 

(क्रमशः)


सूचना: वैद्य की सलाह लेते समय, वह शिक्षित एवं पंजीकृत वैद्य है इसकी तसल्ली कर ले। अपनी राय देने व शंका निरसन करने हेतु आप मुझे मेरे वैयक्तिक नंबर पर अथवा ई-मेल पर संपर्क कर सकते है । इसके आगे के लेख आनेवाले रविवार को सवेसे ब्लॉग पर उपलब्ध होंगे। यह लेख आपको वॉट्सऐप /ईमेल द्वारा प्राप्त करने हेतु नीचे दिए नंबर पर मेसेज करे अथवा हमारा फेसबुक पेज को लाईक करें। 


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डॉ. स्निग्धा चुरी-वर्तक. 

9870690689

अनुवादक: वैद्य प्रीति सिंह - म्हात्रे

अथर्व आयुर्वेद , पनवेल.

9821726815


प्रस्तुत लेख वैद्या स्निग्धा चुरी वर्तक ने  ०९ अगस्त २०२० को अपने ब्लॉग 

*https://samanwayayurved.blogspot.com/2020/07/blog-post_26.html?m=0*

पर प्रकाशित किया था। लेख के सभी अधिकार लेखकाधीन है। लेख अन्यत्र शेयर करने हेतु कृपया लेख में किसी भी प्रकार का बदलाव न करें तथा लेखिका के नाम सहित शेयर करें। 

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